Thetimesofcapital/20/03/2022/ बॉम्बे हाई कोर्ट का बड़ा फैसला: बूढे मॉ बाप की सम्पति पर क्रूर बच्चों का कोई हक नही
बूढे मॉ बाप की सम्पति पर क्रूर बच्चों का कोई हक नही
बाम्बे हाइकोर्ट का यह फैसला उन बूढे मॉ बाप की सुरक्षा उनका होंशला बढाएंगा जो बूढे मॉ बाप अपनी क्रूर संतानों से परेशान है जिनकी सुनने वाला कोई नही नही।
बूढे मॉ बाप की सम्पति पर क्रूर बच्चों का कोई हक नही
बाम्बे हाइकोर्ट का यह फैसला उन बूढे मॉ बाप की सुरक्षा उनका हौंसला बढाएंगा जो बूढे मॉ बाप अपनी क्रूर संतानों से परेशान है जिनकी सुनने वाला कोई नही नही।
बेटे बहू बूढे मॉ बॉप को घर से निकाल देते है उनकी सम्पति पर हक जताते है जबरन हिस्सा मांगते है मॉ बाप की पिटाई करते है उन सभी बूढे मॉ बॉप के लिये #बोम्बे #हाईकोर्ट का #फैसला एक ऐतिहासिक फैसला है इससे बूढे मॉ बॉप की रक्षा सुरक्षा जिम्मेदारीयों को बच्चे समझेंगे।
जब तक माता पिता जिंदा है तब तक बेटे का उनकी प्रॉपर्टी पर कोई हक नहीं होता बॉम्बे हाई कोर्ट का बड़ा फैसला
#बॉम्बे #हाईकोर्ट ने #बड़ा #फैसला सुनाते हुए साफ कर दिया है कि जब तक किसी भी बच्चे के माता-पिता जिंदा हैं। उनका उनके मां.बाप की प्रॉपर्टी पर कोई हक नहीं
बॉम्बे हाई कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाते हुए स्पष्ट कर दिया है कि जब तक माता.पिता जिंदा रहेंगे, उनकी प्रॉपर्टी पर बच्चों का कोई हक नहीं होगा। कोर्ट ने ये फैसला उस मां की याचिका पर सुनाया है जो अपने पति की प्रॉपर्टी को बेचना चाहती थी। कोर्ट ने ये फैसला उस मां की याचिका पर सुनाया है जो अपने पति की प्रॉपर्टी को बेचना चाहती थी
यह है कारण
- पति बीमार पत्नी बेचना चाहती थी प्रॉपर्टी
बेटा था इसके खिलाफ, कोर्ट में याचिका
कोर्ट की बेटे को फटकार, मां को मदद - माता.पिता की प्रॉपर्टी और बेटे का हक
- दरअसल याचिकाकर्ता सोनिया खान अपने पति की सभी प्रॉपर्टी की लीगल गार्जियन बनना चाहती थीं.
- उनके पति लंबे समय से बीमर चल रहे हैं.
- लेकिन सोनिया का बेटा आसिफ खान अपनी मां की ही याचिका से इत्तेफाक नहीं रखता है.
- उसके पिता का फ्लैट बेचा जाएए वो इसका विरोध कर रहा है.
- ऐसे में एक याचिका उसकी तरफ से भी कोर्ट में दाखिल की गई थी।
- अब इसी मामले में बॉम्बे हाई कोर्ट ने मां का समर्थन करते हुए बेटे को बड़ा झटका दिया है।
- फैसला सुनाने के दौरान कोर्ट की तरफ से उस बेटे से कई कड़े सवाल भी पूछे गए हैं।
- पहले बता दें कि आसिफ के मुताबिक वो अपने पिता की प्रॉपर्टी का लीगल गार्जियन है.
- जोर देकर कहा गया है कि उसके माता.पिता के पास दो फ्लैट हैं ।
- एक मां के नाम पर है तो दूसरा पिता के नाम पर.
- ये भी कहा गया कि दोनों ही
- शेयर होल्डर की क्षेणी में आते हैंए ऐसे में आसिफ का उन पर पूरा हक है।
कोर्ट ने क्या फैसला दिया?
बॉम्बे हाई कोर्ट का बड़ा फैसला: अब इन्हीं दावों को बॉम्बे हाई कोर्ट ने सिरे से खारिज कर दिया है. न्यायमूर्ति गौतम पटेल और न्यायमूर्ति माधव जामदार की खंडपीठ ने कहा है कि अभी तक आसिफ द्वारा एक भी ऐसा दस्तावेद नहीं दिखाया गया जिससे ये साबित हो जाए कि उन्होंने कभी भी अपने पिता की परवाह की हो कोर्ट ने आसिफ के सभी दावों को तथ्यहीन करार दिया है. ये भी स्पष्ट कर दिया गया है कि उत्तराधिकार कानून (succession law) में ऐसा कही नहीं लिखा है । कि जब तक माता.पिता जिंदा होए बच्चे उनकी प्रॉपर्टी पर अपना हक जमा सकते हैं।
बॉम्बे हाई कोर्ट का बड़ा फैसला: वैसे दलीलों में आसिफ की तरफ से ये भी बताया गया था कि उसकी मां के पास दूसरे वैकल्पिक उपाय मौजूद थे. ऐसे में फ्लैट बेचने की जरूरत नहीं। लेकिन कोर्ट ने इसे भी सिरे से खारिज कर दिया है. कहा गया है कि ये दलील बताने के लिए काफी है कि आसिफ का कैसा स्वभाव है। उनका द्वेषपूर्ण दृष्टिकोण देखने को मिला है. वहीं दूसरी तरफ कोर्ट ने आसिफ की मां को बड़ी राहत देते हुए अपने पति की प्रॉपर्टी बेचने का आदेश दे दिया है.