Summary of 3 days of Bhagwat Katha, Bhagwat Katha 4 days: भागवत कथा के 3 दिन का सार, कसमें वादे, रिस्ते नाते, बाते है बातो का क्या।।

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Summary of 3 days of Bhagwat Katha, Bhagwat Katha 4 days

Summary of 3 days of Bhagwat Katha, Bhagwat Katha 4 days: भागवत कथा के 3 दिन का सार, कसमें वादे, रिस्ते नाते, बाते है बातो का क्या।।

Summary of 3 days of Bhagwat Katha भागवत कथा के 3 दिन का सार, कसमें वादे, रिस्ते नाते, बाते है बातो का क्या।।

भागवत कथा के 3 दिन का सार, कसमें वादे, रिस्ते नाते, बाते है बातो का क्या।।

चेतन्य काश्यप फाउंडेशन द्वारा भागवत कथा के तीसरे दिन का सार

प्रसिद्ध कथा वाचक सुश्री जयाकिशोरी जी ने भागवत कथा के तीसरे दिन की कथा को सूनाते हुवे भक्तो को सीख दी। और श्रृाद्ध पक्ष में गया जी का क्या महत्व है यह भी बताया।

तीसरे दिन कथा के भक्तो की भील उमड पडी चेतन्य काश्यप परिवार ने जया भगवान कान्हा जी एवं कथा वाचक जया किशोरी जी की आरती की उसके पश्चात कथा प्रारम्भ हुई। कथा के प्रारम्भ होने के पूर्व शहर के समाजजनों ने जयाकिशोरी जी का स्वागत किया साथ ही चेतन्य काश्यप् का भी स्वागत किया।

कथा में बताया गया कि गयासूर कौन था व उसके कर्म किस प्रकार के थे किस प्रकार गयासूर की मृत्यु हूई भगवान ने गयासूर को ऐसा क्या वरदान दे दिया कि गयासूर से गयाजी तीर्थ बन गया। बताया कि एक पूण्यकर्म मनुष्य के सारे पापों का नाश कर सकता है।
इसी बीच एक मधुर भजन को गाकर कथा वाचक जया किशोरी जी ने कि तुम हमारे थे प्रभु जी तुम हमारे हो, हम तुम्हारे हेै प्रभु जी हम तुम्हारे है गाकर भक्त झूमने लगे।

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गया सूर ने भगवान से मरने की इच्छा पर दो इच्छा जाहिर कि जीससे गयासूर से गया तीर्थ बना जहा पर तर्पण किया जाता है मृत आत्मा को मोक्ष की प्राप्ती होती है।
इसी के साथ बच्चों को सत्य व सही की राह पर एवं भरोसा दिलाने की बात कही जिससे की बच्चों में किसी प्रकार का भय न हो भय मुक्त करने एव ंके लिये बच्चों में संस्कार देना उचित मार्ग दर्शन व भरोसा दिया जाना आवश्यक है इसलिये की कोई गलत कार्य भी हो जावे तो उसका फायदा कोई अन्य न उठा लेवे देर हो जावे अतः बच्चे कोई भी कार्य करें तो माता पिता को जरूर बताये जिससे कि किसी भी गलत कार्य होने से बचाया जा सके। साथ ही बेटियों का सक्षम बनाये संसकार दे।
यह भी बात कही कि जब दुनिया में शिक्षा का स्तर नहीं था पाठशालाए नहीं थी तब भारत में 750गुरूकुल हुआ करते है भारत देश सदा से ही गुरूकुल से शिक्षा प्राप्त करता चला आ रहा है जहा संस्कार सृजर होता है।

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इसी के साथ बताया कि मनुष्य जन्म मिला है तो भलाई जरूर करें इसी बात पर एक नगर सेठ की बात का उदाहरण देते हुवे कहा कि नगर सेठ की बिल्ली मर गयी तो पूरा गांव उसके मृत्यु के अवसर पर इकठठा हो गया किन्तु नगर सेठ की जब मृत्यु हुई तो गांव का एक भी व्यक्ति नहीं गया क्यों कि नगर सेठ ने ऐसा कोई पूण्य का कार्य नहीं किया न ही किसी भी प्रकार की भलाई के कार्य किये थे जिससे कि नगर सेठ को याद रखा जावे। इसलिये मनुष्य जीवन में भलाई व धार्मीक कार्य जरूर करना चाहिये।
इसलिये यह बात सिद्ध होती है कि मनुष्य जीवन में स्वयं को परिवार को या यार दोस्तो को खूश करने के बजाय भगवान को खूश कर लिया तो पूरी दुनिया खुश हो जाएगी।

इसके पश्चात एक ओर मधूर भजन गाते हुवे
कसमें वादे, रिस्ते नाते, बाते है बातो का क्या।।
कोई किसी का नही यहा पर नाते है नातो का क्या
कसमें वादे रिस्ते नाते, नाते है नातो का क्या ।।
होगा मसीहा तू तेरा, तेरा अपना आग लगायेगा
आसमान में उडने वाले, एकदिन नीचे आयेगा।।
कसमें वादे, रिस्ते नाते, बाते है बातो का क्या।।
सुख में साथ रहने वाले, दुख में मुंह मोढेंगे।
कसमें वादे, रिस्ते नाते, बाते है बातो का क्या।।

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इसी बात पर सुश्री जया किशोरी जी कहा कि काम ऐसा करों की मनुष्य जीवन तो सार्थक हो ही परलोक भी सुधर जावे।
हम बात करते है नरक जाने की मनुष्य अच्छे कर्म नहीं करता है तो नरक लोक में जाता है किन्तु भगवन नाम आखरी वक्त भी जीस मनुष्य ने भगवान का ले लीया उसका जीवन सफल हो जाता है नरक में नही जाकर मनुष्य को स्वर्ग लोक की प्राप्ती होना संभव है।
नरक के 28 प्रकार बताये है। एक नरक नही होकर मनुष्य को बुरे कर्म 28 नरक लोक की यात्रा करने को मजबूर करते है।
राजा परीक्षित ने एक ही पाप किया था जिसका दंड उन्हे मिला था तो हम इंसान है। जीवन में सदमार्ग पर चले भगवान का भजन करे मनुष्य जीवन की भलाई करें इसी में सार है।

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