संसद में गूंजी रतलाम झाबुआ की आवाज: संसद में परम्परागत वैद्यो अर्थात बडवों की सेवाओं को लेकर रतलाम-झाबुआ सांसद श्री डामोर ने उठाई आवाज

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Thetimesofcapital/26/03/2022/ Bhopal/ संसद में गूंजी रतलाम झाबुआ की आवाज, संसद में परम्परागत वैद्यो अर्थात बडवों की सेवाओं को लेकर रतलाम-झाबुआ सांसद श्री डामोर ने उठाई आवाज

तीन मंत्रालय मिलकर इस क्षेत्र में करेंगे काम, केन्द्रीय आयुषमंत्री ने दिया भरोसा

रतलाम जिले के इतिहास में पहली बार एक ऐसे सांसद का पूरे संसदीय क्षेत्र को प्रतिनिधित्व मिला है जिनके द्वारा पूरे संसदीय क्षेत्र के विकास के साथ ही विभिन्न पहलुंओं पर केन्द्र सरकार का ध्यान आकर्षित करके इस अंचल के लोगों के सर्वागिण विकास के साथ ही परम्परागत तरिकों ने तथा बरसों पुराने अनुभव के आधार पर परम्परागत देसी जडी.बुटियों एवं औषधियों के माध्यम से आरोग्यमय जीवन के लिये उनके द्वारा की जा रही सेवाओं को लेकर शुक्रवार को लोकसभा में आवाज उठाकर ऐसे लोगों को चिन्हित करके उनके अनुभवों का लाभ उठाने के बारे में सदन के माध्यम से केन्द्र सरकार तक अपनी भावनाओं को पहुँचाने का सकारात्मक प्रयास किया।

संसद में गूंजी रतलाम झाबुआ की आवाज: भाजपा आईटीसेल के प्रभारी श्री अर्पित कटकानी ने बताया कि शुक्रवार को संसद में रतलाम. झाबुआ.अलीराजपुर के सांसद श्री गुमानसिंह डामोर ने प्रश्नकाल के दौरान लोकसभा स्पीकर के माध्यम से आयुष मंत्रालय के मंत्री श्री सोनवाल से स्वाथ्य संबंधित प्रश्न पुछे गये.

संसद में गूंजी रतलाम झाबुआ की आवाज: जिसमें सांसद श्री डामोर ने जिले की लाखों जनता की ओर से भावना व्यक्त करते हुए कहा कि कोरोना काल में ग्रामीण इलाकों व जनजातीय क्षेत्रो में जहां परम्परागत आयुर्वेदिक तरीको से कई पीढ़ियो से वैद्य जिसको हमारे अंचल में #बडवा. #ओझा नाम से संबोधित किया जाता है.उपचारादि का काम कर रहे है ।

इन लोगों को आचंलिक सम्बोधन में बडवा कहा जाता है। पीढी.दर.पीढी इनको जंगल में पाई जाने वाली औषधियों, जडी बुटियों का गहरा ज्ञान होने के चलते कोरोना काल में उन्होंने कई लोग की जान बचाई है। किन्तु ऐसे स्किल्ड वैद्य बडवो की अभी तक शासन प्रशासन स्तर से उनकी पहचान नहीं हो पाई है।

संसद में गूंजी रतलाम झाबुआ की आवाज: उन्होने केन्द्र सरकार से अनुरोध किया कि सरकार क्या ऐसे वैद्यो ;बडवोद्ध का रजिस्ट्रेशन कर उनको विधिवत चिकित्सा की अनुमति देगी. इस प्रकार से इन परम्परागत वैद्यो बडवो लोगों के लम्बे औषधि ज्ञान एवं अनुभव का लाभ गरीब आदिवासी जनता के साथ ही जरूरतमंद लोगों को सुलभ एवं सस्ते तौर पर प्राप्त हो सकेगा।

श्री डामोर ने इसी के साथ ही स्पीकर के माध्यम से केन्द्र सरकार के संज्ञान में यह बात भी लाई कि अचंल के जंगलो में कई ऐसी औषधियां है, लेकिन हम उनका सही से उपयोग नहीं कर पा रहे हैं, उसका मुख्य कारण है इस बिन्दु को लेकर हमारी कोई राष्ट्रीय नीति नही है, अभी जो नीतियां प्रचलित है, बहुत पुरानी है तथा आजादी के पूर्व से ही बनी हुई होकर क्रियान्वित हो रही है।

वनवासियों को भी राजेगार के अच्छे अवसर प्राप्त हो सकेगें

इसके शामिल कर लेने से वनोपज से ग्रामीण वनवासियों को भी राजेगार के अच्छे अवसर प्राप्त हो सकेगें तथा इन आयुर्वेदिक दवाईयों को व्यापक बाजार भी मिल सकेगा जिससे सरकार एवं आदिवासी परिवारों की आय में भी आशातीत बढोत्तरी हो सकेगी ।

सांसद श्री डामोर ने इस तरह अनछुए मुद्दे को उठाकर सर्वे भवन्तु निरामया का सन्देश दिया

सदन में औषध मन्त्रालय के मंत्री श्री सर्वानंद सोनवाल ने सांसद श्री डामोर के जनहित से जुडे इस प्रश्न की भूरी.भूरी प्रसंशा करते हुए उन्हे धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कहा कि निश्चित ही सांसद श्री डामोर ने इस तरह अनछुए मुद्दे को उठाकर सर्वे भवन्तु निरामया का सन्देश दिया है।

उनके इस प्रस्ताव पर निश्चित ही आयुष मंत्रालय आदिवासी विकास मंत्रालय एवं वन मंत्रालय मिलकर काम करेगा तथा स्वयं प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा भी इस दिशा में तेजी से कार्य करने के निर्देश दिये गये है।

केन्द्रीय आयुष मंत्री ने भारत सरकार के संकल्प को दोहराते हुए भरोसा दिलाया कि श्री डामोर के प्रस्ताव पर केन्द्र सरकार इसे अमलीजामा पहिनाने के लिये पूरी तरह कृत.संकल्पित है और शीघ्रातिशीघ्र इस पर नियम बनाये जाकर इसे धरातल पर अमलीजामा पहनाया जावेगा।

संसद में गूंजी रतलाम झाबुआ की आवाज: लोकसभा में परम्परागत तरिको से अंचल मे उपचारादि करने वाले बडवों को लेकर सांसद श्री डामोर द्वारा की गई पहल का पूरे संसदीय क्षेत्र में प्रशंसा की जा रही है तथा उनकी सकारात्मक भूमिका के लिये उन्हे धन्यवाद ज्ञापित किया है ।

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