रतलाम जिला चिकित्सालय का मामला
रतलाम जिला चिकित्सालय में खाना बनाने से लेकर बांटने तक का कार्य करने वाले कर्मचारीगण हर दिन चाहे वह छूटटी का दिन या बार त्योहार अपनी सेवाए निरन्तर देते रहते है। ऐसे में सवाह यह उठता है कि क्या यह कर्मचारी परमानेन्ट है या ठेके में चूकी सुबह 6 बजे से रात 9 बजे तक निरन्तर यह लोग उन गरीब व मरीज को खाता बनाकर बांटते है जो परेशान है बिमार है। चाहे किसी भी प्रकार की बिमारी हो महामारी किन्तु इनका कार्य न तो कम होता है ओर न बंद।
उक्त सभी कर्मचारीगण कलेक्टोरेट दर पर कार्य कर रहे है इन लोगो को आज तक किसी प्रकार का कोई भत्ता या सुविधाए नही मिलती है। यह कर्मचारी नियमित करने की मांग करने को लेकर आज कलेक्टर रतलाम के नाम आवेदन दिया जिस पर कलेक्टर रतलाम द्वारा आश्वासन दिया गया कि एक माह में निराकरण किया जावेगा।
इन लोगो की तनख्वाह बहूत कम यह कई वर्षो से जैसे 5 वर्ष 6,7,8,9 वर्षो से कार्य कर रहे है। इन कर्मचारीयों को ठेकेदारी प्रजा अंन्तर्गत करने का विचार किया जा रहा है जिसको लेकर यह कर्मचारी नाराज है इनका कहना है कि ठेकेदार खून चूस लेगा। हम अपने घर कैसे चलाये कम तनख्वाह मे घर चलाना मूश्किल है। इन लोगो का कहना है कि अकुशल कारीगरों के तौर पर हम कार्य कर रहे है, न तो हमे बिमा मिलता है न किसी प्रकार का पीएफ आदी काटा जाता है हम बूढापे में दर दर की ठोकरे खाने को मजबूर हो जावेगे, हम 15-16 घंटे कार्य करते है हमारी पूछ परख करने वाला कोई नही हम लोगो का मानदेय बढाया जावे, हमे नियमित किया जावे, हमे ठेकेदारी प्रजा में नही किया जावे, हम ठेकेदारी में जाना नही चाहते, आदी समस्या को लेकर कलेक्टर रतलाम को आवेदन दिया है।