intentional mistake रतलाम निजी सम्पति पर शहर के नेता ने 76 लाख किये खर्च, क्या होगा असर जाने
intentional mistake रतलाम निजी सम्पति पर शहर के नेता ने 76 लाख किये खर्च, क्या होगा असर जाने
रतलाम में सौंदर्यकरण को लेकर शहर के नेता व नगर निगम के की लापरवाही के चलते शासन के 76 लाख एक तरह से निजी सम्पति को फायदा पहुचाने के नाम पर खर्च कर डाले।
रतलाम के जिस महलवाडा गेट का सौंदर्यकरण 46लाख और 30लाख के दो टेंडर के माध्यम से यानी की 76लाख में किया जा रहा है जो शहर की जनता के सामने है किन्तु किसी को यह नहीं पता कि यह सरकारी सम्पति नही होकर निजी सम्पति गेट है जहा पर कोचिंग सेंटर कम्प्युटर सेंटर संचालित होते आये है। इसी के साथ उक्त गेट के उपर का भाग रेंट पर दिया जाता है।
सौंदर्य करण को लेकर 76लाख की राशि में कुछ लाख रू शहर विधायक चेतन्य काश्यप ने विधायक निधि से खर्च किये जाने की बात सामने आई है क्या इस तरह से निजी सम्पति पर शासन का पैसा खर्च किया जा सकता है?
6 माह से ज्यादा हो चुका है कार्य को होते।
सौंदर्यकरण को लेकर किये जाने वाले कार्य को 6 माह से अधिक हो चुके है किन्तु इस और किसी का ध्यान नहीं है। इस कार्य से आने जाने वाले कई नागरीक परेशानी का सामना कर रहे है। विशेषकर रजिस्टार आफिस, आबकारी, अन्य और भी कार्यलय लगते है जिन्हे घुमकर आना जाना पड रहा है।
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क्या है हकिकत महलवाडा गेट की
महलवाडा का गेट और डोसी गांव की 25 बीघा जमीन वसीयत के आधार पर महाराजा के कर्मचारी अजीत सिंह को महाराजा द्वारा दी गई थी और इसके आधार पर मह वाडे के गेट का नामांतरण नगर निगम में हो चुका है ओर बहुंत सारी सम्पति अजीत सिंह ने बेची है, उनका भी नामांतरण हुआ है। अगर यह सही है तो मामला गंभीर होकर विचार करने योग्य है कि क्या जानते बुझते हुवे निजी सम्पति पर 76 लाख रू खर्च किए जा रहा है सौंदर्य के नाम पर ऐसा क्यो?
सवाल पर सवाल उठते नजर आते है निजी सम्पति पर सरकार का 76 लाख रू खर्च करना क्या और कहा तक उचित है?
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ऐसी कैसी नगर निगम जो स्वयं की विश्वसनीयता पर प्रश्न चिन्ह लगा देवे
यह भी बात सामने आई है कि सौंदर्यकरण को लेकर गेट मालिक अजीत सिंह द्वारा आपत्ति ली गई थी किन्तु सौंदर्यकरण करने वाली कम्पनी व नगर निगम द्वारा यह लिखकर दिया गया कि भविष्य में कभी भी उस गेट पर नगर निगम या शासन मालिकाना हक का क्लेम नहीं करेंगा।
इसका मतलब यह हुआ कि जानबुझ कर की गई गलती, इसको आप क्या कहेंगे?
नगर निगम का कहना है कि नामांतरण होने से किसी को स्वामित्व नहीं मिल जाता वह तो सिर्फ संपति कर वसूलने का रिकार्ड है इसका मतलब यह हुआ कि नगर निगम को खूद पता नही कि वह सही है या गलत यानी कि यहा पर नगर निगम की विश्वसनीयता पर प्रश्न चिन्ह लगाना उचित है?
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आखीर कौन है दोशी किस पर गिरेगी गाज
इस प्रकार से जनता के टेक्सपेयर के पैसों को निजी सम्पति पर खर्च करना कहा तक उचित है क्या यह पैसो की बर्बादी नही इस पर संज्ञान लेने के लिये जिम्मेदारों को आगे आने चाहिये और उन पर कार्यवाही भी होनी चाहिये जिसने जानबुझ कर इस प्रकार का कार्य किया है। और गैर जरूरी निजी सम्पतियों पर पैसे की बर्बादी को रोका जावे। साथ ही आपराधिक कृत्य करने वालो पर अंकुश लगाया जावे।
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