Good news for tourists in India: कश्मीर फूलों की घाटी

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thetimesofcapital.com/25august2021/ ब्रह्मकमल से महक रही घाटी, 350 से अधिक प्रजातियों के फूल, घाटी में खिले दुर्लभ प्रजाति के फूल, फूलों की घाटी जैव विविधता से भरी है, घाटी में कई विषैले फूल भी खिले

काश्मीर घाटी का नाम आते ही देश क्या विदेशी नागरीकों के मन में भी उत्साह व आनन्द से मन प्रफुल्लित हो जाता है। घाटी की हसीन वादिया हर किसी का मन मोह लेती है और अपनी ओर खींचे ले जाती है।

देहरादून
45 वर्षों से ग्लेशियर में दबे फूलों की घाटी कुंठखाल हनुमान चट्टी पैदल ट्रैक को नंदा देवी राष्ट्रीय पार्क प्रशासन ने सुधार लिया है
विश्व प्रसिद्ध फूलों की घाटी पर्यटको के लिये
काश्मीर की कली हूॅ में मुझको ना छूना बाबूजी ……………….. मूरझा गयी तो………….
इस प्रकार के कई मन को आनन्द देने वाले गीतों के साथ फिल्मों की सुटिंग तक होती रहती है। वैसे भी कश्मीर को स्वर्ग कहा गया है।
आप भी अगर कश्मीर घाटी घूमने जाने का मन बना रहे है तो अगस्त माह से मौसम बडा ही खुश मिजाज आपको मिलेगा। जो कि आपकी यात्रा में चार चांद लगा देगा।

विश्व प्रसिद्ध फूलों की घाटी पर्यटको के लिये

फूलों की घाटी से लेकर हेमकुंड साहिब तक जगह.जगह ब्रह्मकमल खिले हुए हैं। पिछले दो साल से कोरोना संक्रमण के चलते हेमकुंड साहिब की तीर्थयात्रा बंद है। मानवीय आवाजाही कम होने से यहां ब्रह्मकमल बहुतायत में खिले हुए हैं। ब्रह्मकमल हेमकुंड के आस्था पथ पर भी खिले हुए हैं। यात्रा के दौरान ब्रह्मकमल का बड़ी मात्रा में दोहन हो जाता था लेकिन इस बार यात्रा का संचालन न होने से घांघरिया से कुछ दूरी से ही ब्रह्मकमल दिखाई दे रहे हैं।
फूलों की घाटी जैव विविधता से भरी है। यहां कई प्रजाति के फूल और वनस्पति पाई जाती है जिनमें कई दुर्लभ प्रजाति के फूल भी हैं। घाटी में दो ऐसे फूलों को चिन्हित किया गया है जो विषैले हैं। पर्यटकों को घाटी में प्रवेश करने पर सावधानी बरतनी चाहिए किसी भी वनस्पति को छूने या तोड़ने से बचना चाहिए।

विश्व प्रसिद्ध फूलों की घाटी के दीदार को जा रहे हैं तो सावधान रहें। घाटी में कई विषैले फूल भी खिले हैं जो जानलेवा साबित हो सकते हैं। वन विभाग ने भी पर्यटकों को बिना जानकारी किसी भी फूल या वनस्पति से छेड़छाड़ न करने की सलाह दी है

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फूलों की घाटी ग्रीष्मकाल में छह माह तक पर्यटकों के लिए खोली जाती है। घाटी में लगभग 350 से अधिक प्रजातियों के फूल खिलते हैं। घाटी के दीदार के लिए अगस्त और सितंबर माह सबसे उपयुक्त माना जाता है। इस दौरान घाटी में सबसे ज्यादा फूल खिले रहते हैं।

वर्तमान समय में लगभग 200 से अधिक प्रजातियों के फूल घाटी में खिले हुए हैं। वन विभाग ने घाटी में एकोनिटम बालफोरी और सेनेसियो ग्रैसिलिफ्लोरस नाम के फूल चिह्नित किए हैंए जो काफी जहरीले होते हैं। सेनेसियो एक दुर्लभ प्रजाति का फूल भी है जो लंबे समय बाद घाटी में खिला है। किसी ने यदि यह फूल तोड़ लिया या इसको मुंह में रख लिया तो यह जानलेवा हो सकता है

घाटी में खिले दुर्लभ प्रजाति के फूल
फूलों की घाटी में कई दुर्लभ प्रजाति के फूल खिले हुए हैं। इनमें सबसे मनमोहक फूल मोरिना लोंगिफोलिया है। यह दूर.दूर तक अपनी महक छोड़ता है। इसके अलावा घाटी में विलुप्तप्राय श्रेणी में रखे गए कोरीडालिस कॉर्नुटा फूल भी खिला हुआ है। इसके अलावा घाटी में विभिन्न प्रजातियों के फूल खिले हुए हैं। 

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उत्तराखंड में हेमकुंड साहिब यात्रा मार्ग पर भ्यूंडार गांव के समीप हेम गंगा पर 135 मीटर लंबा स्टील गार्डर पुल बनकर तैयार हो गया है। यह क्षेत्र में सबसे लंबा गार्डर पुल है। इससे हेमकुंड साहिब और फूलों की घाटी की राह अब कुछ आसान हो गई है। इस पुल पर 20ण्73 करोड़ की लागत आई है। वर्ष 2013 की जल प्रलय के दौरान हेम गंगा में बाढ़ आने से यहां बना पुल बह गया था। इससे हेमकुंड साहिब और फूलों की घाटी जाने वाले तीर्थयात्रियों और पर्यटकों को भारी परेशानी हो रही थी

हेमकुंड साहिब तक पहुंचने के लिए तीर्थयात्री गोविंदघाट से पुलना गांव तक तीन किलोमीटर वाहन से और यहां से 16 किलोमीटर तक दुरूह पैदल चढ़ाई पार करने के बाद हेमकुंड साहिब पहुंचते हैं। यह पैदल ट्रैक फूलों की घाटी के लिए भी जाता है। गोविंदघाट से 13 किलोमीटर की पैदल दूरी पर स्थित घांघरिया से एक रास्ता फूलों की घाटी के लिए जाता है।

अमित कंवर निदेशक नंदा देवी बायोस्फियर रिजर्व गोपेश्वर चमोली।

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