नई दिल्ली (Thetimesofcapital ) पंजाब चुनाव से पहले अकाली दल, मायावती की पार्टी ने लगभग तय कर लिया है कि गठबंधन का मुल उददेश्य सीटों के अंतर को भरना है। केन्द्र के विवादास्पद कृषि कानूनों को लेकर शिरोमणि अकाली दल ने भाजपा से नाता तोडा था बाद 2022 में पंजाब विधानसभा चुनाव के लिए बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के साथ गठबंधन किया है।
- लगभग 20 सीटो पर हूआ गठबंधन
- अकाली दल 97 सीटों पर चुनाव लड़ेगा
- 31 फीसदी दलित वोटों पर बसपा की अच्छी पकड़ है।
- पंजाब में दलितों की आबादी करीब 40 फीसदी है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार नए गठबंधन के साथ, सुखबीर सिंह बादल के नेतृत्व वाली पार्टी का लक्ष्य सितंबर में भाजपा से अलग होने के बाद कई सीटों के अंतर को भरना है। बसपा वहाॅ चुनाव लड़ेगी जो पहले भाजपा को मिली थीं।
राज्य विधानसभा में कुल 117 सीटें हैं। बसपा को जहां 20 सीटें आवंटित की गई हैं, वहीं अकाली दल 97 सीटों पर चुनाव लड़ेगा।
सुखबीर सिंह बादल ने आज एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, पंजाब की राजनीति में यह एक नया दिन है। दोनों पार्टी 2022 के पंजाब राज्य के चुनाव और भविष्य के चुनाव एक साथ लड़ेंगे।
पिछले हफ्ते घोषणा की थी कि उनकी पार्टी कांग्रेस, भाजपा और अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली आम आदमी पार्टी को छोड़कर गठबंधन के लिए तैयार है, ओर भाजपा के साथ जाने का कोई मौका नहीं है।
सूत्रों के अनुसार बसपा के 18-20 सीटों पर चुनाव लड़ने की संभावना है, जिसे अकाली दल ने पहले सत्तारूढ़ दल के साथ गठबंधन के दौरान भाजपा की पेशकश की थी। 1992 में अकाली दल भाजपा का सबसे पुराना सहयोगी था।अकाली दल राज्य की 117 में से 90 सीटों पर चुनाव लड़ रही पार्टी के साथ गठबंधन में वरिष्ठ भागीदार हुआ करता था। लोकसभा चुनाव में अकाली दल ने 13 में से 10 सीटों पर और भाजपा को तीन सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे।अकाली दल ने पिछले साल सितंबर में तीन कृषि विधेयकों को लेकर एनडीए से हाथ खींच लिया, जिसने किसानों के विरोध की आंधी को जन्म दिया, जिनमें ज्यादातर पंजाब और हरियाणा के थे।
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