लोकसभा ना विधानसभा सबसे बडी ग्राम सभा

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तो क्या ग्राम सभा वेदांता के अनुसार  सुनाएगी फैसला?

(Thetimesofcapital.com)Ratlam05July2021/ रतलाम मेघा टैक्सटाइल्स पार्क के लिए प्रस्तावित औद्योगिक निवेश क्षेत्र से संबंधित जमीन पांचवी अनुसूची क्षेत्र में बिना ग्राम सभा के सहमति से प्रस्तावित निवेश क्षेत्र अविलंब निरस्त करने हेतु आदिवासी परिवार एवं जयस संगठन ने एकजुट होकर प्रशासन के विरुद्ध नारेबाजी करते हुए अपना आक्रोश रतलाम के गुलाब चक्कर में इकट्ठा होकर प्रदर्शित किया जयस संगठन के संरक्षक डॉक्टर अभय ओहरी से बात करने पर बताया कि समस्त आदिवासी जिनकी भूमि मेघा टेक्सटाइल उद्योग के लिए छीनी जा रही है जिसको लेकर शासन प्रशासन के खिलाफ हमारा विरोध प्रदर्शन है जिसमें आदिवासी अंचलों से समस्त संगठन एकजुट होकर बनने वाले टैक्सटाइल्स पार्क का विरोध कर रहे हैं टैक्सटाइल पार्क के निर्मित होने पर आदिवासियों की भूमि छीनी जावेगी उनके जीवनयापन का एकमात्र आसरा जो कि उनकी कृषि भूमि है जल जंगल जमीन है वह छिन ली जावेगी.
इनके नाम दिया ज्ञापन
महामहिम राष्ट्रपति महोदय नई दिल्ली भारत सरकार, महामहिम राज्यपाल महोदय राज भवन मध्य प्रदेश, मानव अधिकार आयोग नई दिल्ली भारत सरकार, माननीय मुख्यमंत्री महोदय मध्य प्रदेश शासन, माननीय पर्यावरण मंत्री महोदय पर्यावरण मंत्रालय भोपाल एवं प्रभारी मंत्री महोदय रतलाम के नाम ज्ञापन सौंपकर अपनी मांगों को मनाने हेतु प्रदर्शन किया .

कितनी पंचायतों की भूमि इस मेघा प्रोजेक्ट में समाहित होगी?
अगर बात करें हम उक्त मेघा टैक्सटाइल्स पार्क के लिए प्रस्तावित औद्योगिक इकाइयों के निवेश के लिए पिपलोदी ,सरवनी खुर्द ,जामथुन, जुलवानिया, पलसोडी, रामपुरिया पंचायतों की भूमि चिन्हित की गई है और इन ग्राम पंचायतों की भूमि आदिवासियों से लेकर मेघा क्लस्टर निर्माण में उपयोग की जावेगी स्पेशल इन्वेस्टमेंट रीजन का प्रोजेक्ट के तहत इस योजना में 24 उद्योग लगेंगे यह खबर 21.6.2021 को एक समाचार पत्र में छपी खबर में लिखा था इस योजना के तहत ली जाने वाली जमीन को 1542.40 हेक्टेयर भूमि सरकारी व 256.7 हेक्टेयर भूमि निजी बताया है
मांगों को नहीं मानने की स्थिति में उच्चतम न्यायालय का फैसला  
इन क्षेत्रों में 52 गांव अनुसूचित क्षेत्र में आते हैं अनुसूचित क्षेत्र को भारतीय संविधान के अनुच्छेद 244 एक में परिभाषित किया गया है माननीय सुप्रीम कोर्ट ने अनुसूचित क्षेत्र को परिभाषित करते हुए जजमेंट दिए हैं जो इस प्रकार है.

उच्चतम न्यायालय का फैसला वेदांता के अनुसार ना लोकसभा का विधानसभा सबसे ऊंची ग्राम सभा

उच्चतम न्यायालय का फैसला रमारेड्डी बनाम 98 अनुसूचित क्षेत्रों में केंद्र और राज्य सरकार का 1 इंच भी जमीन नहीं है.

उच्चतम न्यायालय के समता जजमेंट 997 अनुसूचित क्षेत्रों में सरकार का एक व्यक्ति के समान है.

उच्चतम न्यायालय का फैसला बनाम महाराष्ट्र 5 जनवरी 2011 8% आदिवासी ही इस देश का मालिक है बाकी इमीग्रेंट है.

उच्चतम न्यायालय का फैसला केरल बनाम 8 जुलाई 2013 जिसका जमीन उसका खनिज .

रामकृपाल भगत वर्सेस स्टेट ऑफ बिहारनरेश चंद्र बोस वर्सेस स्टेट ऑफ नागालैंड जो क इन 1947 के भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम को सुरक्षित करता है.

अनुच्छेद 141 के तहत जो सुप्रीम कोर्ट के जजमेंट को नहीं मानता है वह देशद्रोही होता है हमारी ग्राम सभा इन सभी जजमेंट को देखकर समता जजमेंट के अनुसार अनुसूचित क्षेत्रों में सरकार एक व्यक्ति के समान है .

और भू राजस्व संहिता की धारा 165 छह(6) के अनुसार आदिम जनजाति अवरोध जीनल विपुल की जमीन गैर आदिवासी जाति को ट्रांसफर नहीं हो सकती है तो क्या आप की सरकार आदिवासी है ?
इनका मानना है ,

यह एक जन आंदोलन है क्योंकि इस निवेश क्षेत्र में जो कंपनी आ रही है उससे हर जाति और हर वर्ग का नुकसान है इस निवेश क्षेत्र के बनने से उद्योग से उत्पन्न होने वाली भयानक जानलेवा समस्याएं उत्पन्न हो जावेगी जैसे इस निवेश निवेश क्षेत्र में जो कंपनी आ रही है उससे हर जाति और हर वर्ग का नुकसान होगा पर्यावरण का नुकसान होगा नई कंपनियों के लगने से पूरा पर्यावरण दूषित हो जाएगा जिससे पूरे रतलाम जिले और शहर को ऑक्सीजन की कमी एवं दूषित ऑक्सीजन मिलने लगेगी दूषित हवा दूषित पानी ग्रहण करना होगा कंपनी से निकलने वाला दूषित पानी धोलावाड़ डेम में जाएगा जिससे पूरा रतलाम शहर पानी पीता है जिससे कई नई बीमारियां जन्म लेगी जमीन से निकलने वाला पानी लाल पीला दूषित हो जाएगा जिससे मनुष्य का जीवन संकट में पड़ जाएगा भूमि पर निर्भर लोगों का जीवन नष्ट होता जाएगा इसका मतलब सीधा यह है कि निवेश क्षेत्र आने से जहां एक और विकास होगा वहीं दूसरी ओर उसके आने को नुकसान भी मनुष्य को रहवासियों को उठाना पड़ेंगे
तो क्या ग्राम सभा वेदांता के अनुसार  सुनाएगी फैसला?
सवाल यह उठता है कि क्या आदिवासियों की इन सभी मांगों को सरकार मानेगी और अगर नहीं मानती है तो उस स्थिति में क्या आदिवासी अंचल के ग्रामीणजन व संगठन मिलकर ग्राम सभा के मार्फत वेदांता निर्णय अनुसार अपना फैसला सुनाएगी आगे क्या होगा याह तो समय पर निरभर हे.

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