thetimesofcapital.com/10Sep.2021/ आईएनएस ध्रुव: आईएनएस ध्रुव को आधिकारिक तौर पर नौसेना में शामिल किया जाएगा , 2000 किमी दूर से आ रही मिसाइल को भी ट्रैक कर लेगा . इस जंगी जहाज को इतना गोपनीय रखा गया था कि सिर्फ प्रधानमंत्री कार्यालय और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार की निगरानी में ही इसे बनाने का काम पूरा हुआ। अब इसे आधिकारिक तौर पर नौसेना में शामिल किया जाएगा.
भारत हमेशा अपनी बुद्वीमत्ता का परिचय देता रहता है और इसी कढी में एक नई उम्मिद लेकर ध्रुव आया है जिसमें एक नई ताकत है जो विश्व के कुछ देशों के पास ही जो ध्रुव के आ जाने से भारत को प्राप्त हूई है।भारतीय नौसेना की ताकत बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार की कोशिशें जारी हैं। इसी के मद्देनजर नौसेना को महज सात साल के अंदर देश में बना पहला सैटेलाइट और बैलिस्टिक मिसाइल ट्रैकिंग जहाज आईएनएस ध्रुव मिलने जा रहा है।
विशाखापत्तनम में मौजूद इस 17 हजार टन वजनी ट्रैकिंग पोत के जरिए हिंद.प्रशांत क्षेत्र में भारतीय नौसेना की ताकत में जबरदस्त इजाफा होने का अनुमान लगाया जा रहा है। दरअसल मौजूदा समय में दुनिया के सिर्फ चार देशों के पास ही इस तकनीक वाला नौसैन्य मिसाइल सिस्टम मौजूद है.
कैसा है आईएनएस ध्रुव
आईएनएस ध्रुव का निर्माण भारत के हिंदुस्तान शिपयार्ड लिमिटेड ने किया है। इसके निर्माण की शुरुआत के दौरान इसका नाम वीसी.11184 दिया गया था। इस शिप के केंद्रीय ढांचे का निर्माण 30 जून 2014 को मोदी सरकार के आने के बाद शुरू किया गया था। इसे इतना गोपनीय रखा गया कि सिर्फ प्रधानमंत्री कार्यालय ;पीएमओ और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार एनएसए की निगरानी में ही इसे बनाने का काम पूरा हुआ.
इस शिप के निर्माण के बाद इसके ट्रायल की जानकारी को भी अधिकतर गुप्त ही रखा गया। रिपोर्ट्स के मुताबिक आईएनएस ध्रुव का हार्बर ट्रायल जुलाई 2018 में शुरू हुआ। 2018 के अंत तक इसका समुद्री ट्रायल भी शुरू हो गया। बताया जाता है कि तकरीबन दो साल तक पूरी जांच के बाद यह पोत अक्टूबर 2020 में गुपचुप तरीके से नौसेना तक पहुंचा दिया गया। अब सितंबर 2021 में इसे आधिकारिक तौर पर नौसेना में शामिल किया जाएगा। इस शिप के पूरे निर्माण की लागत का खुलासा नहीं किया गया है लेकिन 2014 की एक रिपोर्ट के मुताबिक इसे बनाने में तब लगभग 1500 करोड़ रुपए का खर्च अनुमानित था।
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